श्री आचार्य जी के अनुसार ढोल गंवार, शुद्र, पशु , नारी का अर्थ समझिए
Concept
- ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी की अलग-अलग व्याख्या
- ढोल
- गंवार
- शूद्र
- पशु
- नारी
- स्त्री को ताड़ने का अर्थ
- ताड़ना की सही व्याख्या
ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी -: इस चौपाई पर अज्ञान उलटने वाले वही लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में कभी रामचरितमानस खोलकर देखा तक नहीं है। स्पष्ट ताड़ना का मतलब शिक्षा से है। रामचरितमानस के जितने भी संस्करण हैं सभी में यही अर्थ लिखा है तो प्रश्न उठता है कि फिर कन्फ्यूज़न क्यों ? तो कन्फ्यूज़न नही दुर्भाग्य है। कि हम में से आधे लोगों ने आज तक रामचरितमानस देखा ही नही, उससे भी बड़ा दुर्भाग्य है कि संदेह किया जा रहा है।
गोस्वामी जी ने बहुत सूक्ष्मता से वर्णन किया है। महापुरुषों के वचनों को हम सूक्ष्मता से समझ पाएं तो सब कुछ आसानी से समझ आएगा। गोस्वामी जी ने लिखा है “ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी“। यहां सबकी व्याख्या अलग अलग है।
ढोल
- ढोल को ताड़ना चाहिए, ताड़ना मतलब उसको ताल चाहिए। और बेताल नहीं, शास्त्र सिद्धांत के अनुसार संगीत शास्त्र के अनुसार तभी वो राग प्रकट कर पाएगा।
- अब ताड़ना शब्द चारों में एक जैसा नहीं लगेगा।
- ताल देने से ही वो राग के साथ ध्वनि करता है।
- ना की प्रार्थना करने से समझ रहे हैं।
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गंवार
- गंवार कहते हैं, अविवेकी व्यक्ति को उसे कोई कार्य दे दो।
- उस पर दृष्टि न रखो तो कार्य नष्ट हो जाएगा।
- यहाँ ताड़ने का तात्पर्य उसको पीटना नहीं है।
- उस बुद्धिहीन पर दृष्टि रखो जिसे आपने कार्य सौंपा है।
- क्योंकि वो कार्यप्रणाली ठीक से जनता नहीं।
- आप जहाँ त्रुटि उतार संभाल लें वही ताड़ना हुआ।
शूद्र
- वर्ण व्यवस्था में शूद्रों का प्रादुर्भाव सबसे श्रेष्ठ जगह से माना जाता है वह है भगवान के श्री चरणों से।
- शास्त्र विरुद्ध, सदाचार के विरुद्ध आचरण करना शूद्र आचरण की तरफ संबोधन किया जाता है।
- यहाँ कहा गया है कि शास्त्र, ज्ञान, विज्ञान आदि के अनुसार आचरण, शासन के अनुसार सदाचार परायण आचरण हो।
- यहाँ शूद्र के तारण की बात कही गई यहाँ उसका तात्पर्य डंडे से प्रहार करना नहीं।
- यहां बात की गई है शासन की।
पशु
- पशु को भी यहां प्रताड़ित करने को नहीं कहा गया है।
- यहां मतलब है उसकी देखरेख करने से, उसे शिक्षा प्रदान करने से।
नारी
अब जो चौथा कहा गया नारी अगर कोई समझे कि नारी केवल ताड़ने के लिए है तो उसकी मूर्खता है, पुरुष और नारी का समान प्रादुर्भाव हुआ है। अब यहाँ विचार जो है की नारी के ऊपर तारण शब्द का क्या प्रयोग है ?
नारी 14 रत्नों में एक रत्न स्त्रीरत्न भी है स्त्री को रत्न कहा गया है अपने रत्न पर दृष्टि रखो। अब किस भाव की दृष्टि रखें, क्योंकि वो हमारे यहाँ रत्न की तरह है तो कहीं कोई ऐसा ना हो की कुदृष्टि वाला कोई उस पर हमला कर दें।

स्त्री को ताड़ने का अर्थ
आज दुख होता है यह देख कर के बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री अर्थात सिनेमा जगत में महिलाओं के प्रति बहुत ही प्रमुख जानकारियां समाज में प्रस्तुत की है। किंतु हमारे शास्त्रीय सिद्धांत में देखो कभी भी स्त्री को अकेला छोड़ने का सिद्धांत नहीं पाया गया। अगर वह बच्ची है तो माता पिता का शासन थोड़ी बड़ी हुईं तो भाई आदि के बीच में और बढ़ी हुई तो पति के और वो बड़ी हुई तो पुत्रों के मतलब एक एक दृष्टि रखी गई है कि यदि आप अपनी दृष्टि में रखेंगे तो उसका अमंगल नहीं होगा, उसका अहित नहीं होगा।
ये जो जैसे मानो कोई स्त्री को अकेला कोई पाया और कुमार्गगामी वृत्ति वाला हुआ तो आज जो घटनाएं सुनने को मिलती हैं। इसका उदाहरण हैं। अगर हमारी दृष्टि रहेगी उस पर तो ऐसा नहीं हो सकेगा।

ताड़ना की सही व्याख्या
तो “ताड़ना” का मतलब किसी की पिटाई करना नहीं है की जैसे ढोल को पीटा जाता है, वैसे स्त्री को पीटा जाए, पशु को पीटा जाए, गंवार को पीटा जाए, तो ये व्याख्या नहीं है, ये मूर्खता है, इसे व्याख्या नहीं कहते और यह मात्र एक बूंद के समान प्रयास है। गोस्वामी जी की गागर में सागर भरी चौपाईयों को समझ पाने का सामर्थ्य हम में कहां।