Guru Purnima 2023: वर्ष 2023 में गुरुपूर्णिमा कब है, जानें क्यों मनाई जाती है, कथा, महत्व, सुविचार
Contents
- गुरु पूर्णिमा 2023
- गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
- गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है
- गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है
- गुरु पूर्णिमा वर्ष 2023 तिथि एवं शुभ मुहूर्त
- गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है
- वर्ष 2023 की गुरु पूर्णिमा में क्या विशेष है
- गुरु एवम व्यास पूर्णिमा कथा
- गुरु पूर्णिमा सुविचार
- Disclaimer
गुरु पूर्णिमा 2023
भारत देश के त्योहारों में गुरु पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है। हिंदू धर्म सिख धर्म इन दोनों ही धर्मों में गुरु का एक अलग ही स्थान है, गुरु को सबसे ऊपर माना जाता है। जो अंधकार को प्रकाश में बदलने की शक्ति रखता है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरु पूर्णिमा जुलाई के महीने में है। इस तरह से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ता चला जा रहा है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा से जुड़ी कई कहानियों एवं अन्य चीजों के बारे में।
गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास जी ने ही महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी। साथ ही सभी अठारह पुराणों की रचना भी गुरु वेद व्यास द्वारा ही की गई। जिस कारण, इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है
- मनुष्य और गुरु का एक अटूट संबंध है। मनुष्य जीवन में गुरू को देव स्थान प्राप्त है।
- गुरु के सम्मान और सत्कार के लिए ही इस दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
- हिंदू धर्म के अनुसार भगवान वेद व्यास जी का जन्म आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था।
- जिसे आज के समय में गुरु पूर्णिमा के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू देश में भगवान के ऊपर गुरु का महत्व बताया गया है क्योंकि भगवान का हमारे जीवन में महत्व ही हमें गुरु के द्वारा प्राप्त हुआ है। यह माना जाता है कि अच्छे बुरे संस्कारों, धर्म अधर्म आदि का ज्ञान पूरे विश्व में गुरु के द्वारा ही अपने शिष्यों को दिया जाता है। इसी उद्देश्य को पूरा करते हुए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है।
इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ गुरु की उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि मनुष्य को अपने जीवन में एक गुरु बनाना चाहिए। जिसके अंतर्गत गुरु की दीक्षा ली जाती है और गुरु द्वारा कहे गए आचरण का पालन किया जाता है। माना जाता है कि इससे उस मनुष्य को जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त होता है। उसके जीवन के कष्ट कम होते हैं। उसे जीवन की एक उचित राह मिलती है। इस तरह उसका जीवन खुशहाल हो जाता है।
गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है
प्रत्येक वर्ष गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, यहां प्रतिवर्ष जुलाई अथवा अगस्त माह में मनाई जाती है।
गुरु पूर्णिमा वर्ष 2023 तिथि एवं शुभ मुहूर्त
- 2 जुलाई 2023 सुबह 08.21 बजे से शुरू
- 3 जुलाई 2023 शाम 05.08 बजे पर समाप्त
- इसलिए इसे 3 तारीख को पूरा दिन ही मनाया जायेगा।
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है
- गुरु पूर्णिमा के दिन जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़ों का धारण किया जाता है।
- मंदिर अथवा घरों में बैठकर गुरु की उपासना की जाती है।
- गुरु के पूजन हेतु कई लोग उनकी फोटो के सामने पाठ पूजा करते हैं कई लोग ध्यान मुद्रा में रहकर गुरु मंत्र का जाप करते हैं।
- सिख समाज के लोग इस दिन गुरुद्वारे जाकर कीर्तन एवं पाठ पूजा करते हैं।
- गुरु पूर्णिमा के दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं, जिसमें एक वक्त भोजन एवं एक वक्त फलाहार आदि का नियम का पालन किया जाता है।
- गुरु पूर्णिमा के दिन दान दक्षिणा का आयोजन भी किया जाता है।
- खास तौर पर गुरु का सम्मान कर उनका पूजन करने की प्रथा है।
- इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु परिवार में जो भी बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन, आदि को भी गुरु समान समझना चाहिए।
- गुरु की कृपा से ही विद्यार्थी को विद्या आती है।
- गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है।
- इस दिन गुरुजनों की सेवा करनी चाहिए।
- साथ ही भेंट ही देनी चाहिए।
गुरु एवम् व्यास पूर्णिमा कथा
- हम सबके जीवन में गुरु का बहुत अधिक महत्त्व है।
- गुरु ही हमारे अन्दर से अज्ञानता का अन्धकार मिटा कर हमारे अन्दर ज्ञान का प्रकाश भरता है।
- ऐसी मान्यता है कि इस तरह के किसी एक आषाढ़ पूर्णिमा दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।
- तो उन्ही के नाम पर इसे व्यास पुर्णिमा भी कहा जाता है।
- इन्हीं ने समस्त मानव जाति को पहली बार वेद का ज्ञान दिया था।
- पहली बार वेद दर्शन मानव जाति के मध्य लाने की वजह से इनको प्रथम गुरु का दर्ज़ा दिया गया।
- तब से इस दिन इनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है।
कथा
कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने अपने बाल्यकाल में अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा प्रकट की, लेकिन माता सत्यवती ने वेदव्यास की इच्छा को ठुकरा दिया। तब वेदव्यास ने हठ करने लगे और उनके हठ पर माता ने उन्हें वन जाने की आज्ञा दे दी। साथ ही कहा कि जब घर का स्मरण आए तो लौट आना। इसके बाद वेदव्यास तपस्या हेतु वन चले गए और वन में जाकर उन्होंने कठिन तपस्या की।
इस तपस्या के पुण्य-प्रताप से वेदव्यास को संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई। तत्पश्चात उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराणों सहित ब्रह्मसूत्र की रचना की। महर्षि वेद व्यास को चारों वेदों का ज्ञान था। यही कारण है कि इस दिन गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
गुरु पूर्णिमा सुविचार
गुरु पूर्णिमा से संबंधित कुछ सुविचार इस प्रकार हैं –
- अपने परिवार में तुम्हारा परिचय कराया, उसने तुम्हें भले बुरे का आभास कराया, अथाह संसार में तुम्हें अस्तित्व दिलाया, दोष निकालकर सुदृढ़ व्यक्तित्व बनाया….
- वक्त भी सिखाता है और टीचर भी, पर दोनों में अंतर सिर्फ इतना है कि टीचर लिखाकर इम्तिहान लेता है, और वक्त इम्तिहान लेकर सिखाता है…
- गुरु आपके उपकार का कैसे चुकाऊं में मोल ? लाख कीमती धन भला, गुरु है मेरा अनमोल…हैप्पी गुरु पूर्णिमा
- अक्षर-अक्षर हमें सिखातें, शब्द-शब्द अर्थ बताते, कभी प्यार से कभी डांट से, जीवन जीना हमें सिखाते…
- गुरु होता सबसे महान, जो देता सबको ज्ञान, आओ इस गुरु पूर्णिमा पर करें, अपने गुरु को प्रणाम…
- पानी के बिना नदी बेकार है, अतिथि के बिना आँगन बेकार है, प्रेम न हो तो सगेसंबंधी बेकार हैं, और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है।

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