OECD की रिपोर्ट: वैश्विक मंदी होने के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी, कई बड़े देश पीछे छूटे।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में 6.6 % की ग्रोथ रेट के साथ भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हो गया है।
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रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर ऊर्जा के झटके से पैदा हुई वैश्विक मंदी के बीच भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
OECD पेरिस में स्थित एक इंटरगवर्नमेंटल निकाय है जो अपने लेटेस्ट इकोनॉमिक आउटलुक में आर्थिक नीति रिपोर्टों पर ध्यान केंद्रित करता है। OECD द्वारा कहा गया है कि वैश्विक मांग में गिरावट और मुद्रास्फीति के दबावों को मैनेज्ड करने के लिए मौद्रिक नीति को सख्त करने के बाद भी भारत वित्त वर्ष 2022-23 में G20 में सऊदी अरब के बाद से दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार हो गई है।
2023 -24 में देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि 5.7% होगी
वित्त वर्ष 2023 -24 में देश की सकल घरेलू उत्पाद GDP की वृद्धि धीरे होकर 5.7 % हो जाएगी क्योंकि एक्सपोर्ट और घरेलू मांग में ग्रोथ मीडियम है, लेकिन इसका मतलब यह होगा कि यह अभी भी चीन और सऊदी अरब समेत कई अन्य G20 अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ज्यादा ही होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 % की दर से बढ़ने के बाद आने वाली तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद GDP की ग्रोथ वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 7 % पर वापस आने से पहले वित्त वर्ष 2023-24 में 5.7% रहने के आसार है। 2023 में विकास प्रमुख एशियाई उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं पर मजबूती से निर्भर होगा, जो अगले साल वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद GDP की ग्रोथ के करीब तीन-चौथाई के लिए जिम्मेदार होगा, जबकि अमेरिका और यूरोप में तेजी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।
2023 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 2.2% की वृद्धि
CPI मुद्रास्फीति 2023 की शुरुआत तक कम से कम 6 % की सेंट्रल बैंक की ऊपरी सीमा लक्ष्य से ऊपर रहेगी और फिर धीरे-धीरे कम हो जाएगी क्योंकि हाई इंटरेस्ट रेट प्रभावी होंगी। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक खर्च की दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए अधिक संसाधनों को समर्पित करने और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए राजकोषीय स्थिति को बनाने के लिए अभी भी बहुत अधिक मार्जिन बना हुआ है।
वैश्विक स्तर पर OECD का कहना है कि अगर ग्लोबल इकोनॉमी मंदी से बचती है, तो यह पूरे एशिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जैसे भारत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। इस वर्ष ग्लोबल सकल घरेलू उत्पाद GDP में 3.1 % और 2023 में केवल 2.2 % की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।