जानें हीमोग्लोबिन क्या होता है, इसकी कमी से होने वाली गंभीर बीमारियां और उसके लक्षण, जानिए कैसे करे इसका इलाज।
सार
Health Care Tips: हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है। स्वस्थ और पौष्टिक आहार का मतलब हैं प्रोटीन, विटामिन, और आवश्यक मिनिरल्स की पूर्ति करना। यदि हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाए तो इससे न जाने कितनी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा रहता है। जिसमे से एक हैं शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी।
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हीमोग्लोबिन, एक प्रकार का प्रोटीन हैं जो हमारे लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है, जिसकी कमी के कारण हमारे शरीर में खून की मात्रा घट जाती है। ऐसी स्थिति में हमें एनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है जो जानलेवा भी हो सकती है।
गर्भवती स्त्री और बुजुर्गों में इस हीमोग्लोबिन की कमी का खतरा अधिक होता है। हेल्थ एक्सपर्ट की माने तो अगर हम स्वस्थ आहार का रोजाना सेवन करते है तो हीमोग्लोबिन की कमी को आसानी से दूर कर सकते हैं।
विस्तार
तो आज के इस लेख में हम जानेंगे कि हीमोग्लोबिन की कमी कितनी खतरनाक साबित हो सकती है,इसकी कमी होने का कारण क्या है, साथ ही हम किन चीजों का सेवन कर इस समस्या से बच सकते हैं।
हीमोग्लोबिन क्या होता है
Health Care Tips: हीमोग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो हमारे लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) (Red Blood Cell) में पाया जाता है। इसकी कमी से हमारे शरीर शरीर में खून की मात्रा घट जाती है। खून की मात्रा घटने से एनीमिया जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। कुछ मामलों में एनीमिया जानलेवा भी साबित हो सकता है।

हीमोग्लोबिन की कमी बन सकती है गंभीर बीमारियों का कारण:
हेल्थ एक्सपर्ट की माने तो हीमोग्लोबिन की कमी के कारण एनीमिया जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा हो सकता है। यदि टैस्टिंग में हीमोग्लोबिन की मात्रा पुरुषों में 13.5 g/dl और वहीं, महिलाओं में 12 g/dl से कम आता है तो इस स्थिति में एनीमिया माना जाता है। एनीमिया अन्य कई कारणों से भी हो सकती है, जैसे कि किडनी की बीमारी और कैंसर के लिए की गई कीमोथेरेपी (जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है) आदि। शरीर में हीमोग्लोबिन कम होने के कारण:
शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम होने पर हीमोग्लोबिन की समस्या पैदा हो जाती है। सामान्य तौर पर हीमोग्लोबिन की कमी गर्भधारण करने पर एक महिला में हो जाती है।
इसके अलावा ऐसी अनेको परिस्थितियां है जिनके कारण हीमोग्लोबिन का लेवल कम होता है। जैसे:
- ल्यूकेरिया
- आयरन की कमी
- विटामिन की कमी
- पीरियड्स में अधिक रक्तस्राव
- पेट में अल्सर
- बवासीर
- मूत्राशय से खून निकलना
- घाव से खून निकलना
- सिरोसिस
- हाइपोथायरायडिज्म
- कैंसर
- हमेशा रक्तदान करना
- एड्स
- लिंफोमा
- हेमोलाइटिस
- मल्टीपल मायलोमा
- सिकल सेल एनीमिया
- आनुवंशिक असामान्यता
ऊपर दी गई परिस्थियों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधानियां बरत कर शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के खतरे को कम किया जा सकता है।
हीमोग्लोबिन की कमी के संकेत:
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को इसके शुरुआती संकेतों से पहचाना जा सकता है। अगर समस्या के संकेतों को पहचानकर उसका जल्दी निदान हो जाए तो रोग को गंभीर होने से रोका जा सकता है। हिमोग्लोबिन की कमी के शुरुआती संकेत इस प्रकार है-
- कमजोरी या थकान।
- सास लेने में दिक्कत।
- सिर चकराना
- तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन
- सिरदर्द, हाथ और पैर का ठंडा होना।
- त्वचा में पीलेपन की समस्या।
- छाती में दर्द।
हीमोग्लोबिन की कमी को कैसे दूर करें?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को आसानी से दूर कर सकते हैं। इसके लिए केवल अपने आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अपने आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि मांस, गहरे हरे पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे व नट्स को शामिल करना चाहिए। साथ ही, डेयरी उत्पाद भी शामिल करना चाहिए क्योंकि इसमें, विटामिन-बी12 अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं, वहीं फोलिक एसिड के लिए खट्टे फलों के रस, फलियां और अनाज का सेवन कर सकते हैं। यह सभी चीजें शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाते हैं।
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ध्यान रखने वाली बातें
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार बुजुर्ग लोग, गर्भवती महिलाएं या पौष्टिक आहार विशेषकर आयरन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन न करने वाले लोगों में हीमोग्लोबिन की कमी होने का खतरा रहता है। इसके अलवा दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थितियां जैसे कि ऑटोइम्यून बीमारी, यकृत रोग, थायरॉयड रोग आदि जैसी बीमारियों के शिकार लोगों में भी हीमोग्लोबिन का लेवल कम होता है। इस बीमारी से बचने के लिए पौष्टिक आहार लेते रहें, साथ ही धूम्रपान जैसी चीजों से दूरी बना कर रखें । इसके अलावा, खूब पानी पीने से भी हीमोग्लोबिन का लेवल बेहतर हो सकता है।
Disclaimer: संबंधित लेख पाठकों की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। इस लेख में दी गई जानकारी व सूचना केवल जागरूकता बढ़ाने के लिए है। इस लेख में दी गई बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।