Manipur News: भारत के इस राज्य में दोगुनी कीमत पर बिक रहा है रोजमर्रा का सामान; क्यों हैं ऐसी स्थिति? जानें पूरा मामला
सार
- मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा आज भी है जारी।
- हिंसा के कारण मणिपुर के कई इलाकों में सामानो का आयत है प्रभावित।
- आलू की कीमतें 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी।
- वहीं, अब पेट्रोल 170 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है।
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विस्तार
Rising Prices of Manipur Goods: मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा के कारण मणिपुर में आर्थिक संकट पैदा हो गया है। राज्य के बाहर से आने वाले सामानों का आयात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिस कारण राज्य के अंदर रोजमर्रा के जरूरी सामान दोगुनी कीमतों पर मिल रहे हैं। मणिपुर के ज्यादातर क्षेत्रों में सिलिंडर, पेट्रोल, चावल, आलू, प्याज और अंडे जैसे ज़रूरी सामानों के दाम तय कीमत से बहुत अधिक दाम पर बिक रहे हैं।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इम्फाल वेस्ट डिस्ट्रिक्ट की एक स्कूल टीचर मांगलेम्बी चनम ने जानकारी देते हुए कहा कि “पहले चावल की 50 किलो की बोरी 900 रुपये में मिलती थी, पर वही अब 1800 रुपये में मिल रहा है। आलू-प्याज़ के दाम भी 20-30 रुपये बढ़ गए हैं। हर वो सामान जो राज्य के बाहर से लाया जाता है, उसकी कीमत बढ़ी हुई है।”

सभी जरूरी सामानों पर बढ़ी कीमतें
इसके अलावा, चनम ने कहा कि ब्लैक मार्केट में एक गैस सिलिंडर की कीमत 1800 रुपये हुई है। वहीं कई क्षेत्रों में पेट्रोल की कीमत 170 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई है। साथ ही, उन्होंने बताया, “अंडों की कीमत भी बढ़ गई है। 30 अंडों का एक ट्रे 180 रुपये में मिलता था, किंतु अब 300 रुपये में मिल रहा है।”
वहीं, उनका कहना है कि आवश्यक वस्तुओं से भरे ट्रक्स सिक्योरिटी फोर्सेस की कड़ी निगरानी में रखे गए हैं। अन्यथा, कीमतें और अधिक बढ़ सकती थीं। वहीं, उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सिक्योरिटी फोर्सेस के आने से पहले आलू की कीमतें 100 रुपये प्रति किलो हो गई थी।

जिन जगहों पर हिंसा नहीं हुई वहां की स्थिति
मणिपुर के जिन जिलों में हिंसा नही हुई, वहां पर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में ज्यादा कोई अंतर नहीं पड़ा है। तमेंगलॉन्ग डिस्ट्रिक्ट में एक राशन की दुकान चलाने वाली रेबेका गंगमेई ने बताया कि “ज़रूरी वस्तुओं, खासकर चावल की कीमतों में काफी उछाल आया है। जबकि हमारे जिले में कोई हिंसा नही हुई थी। केवल मांस की कीमतों में किसी भी तरह का कोई बदलाव देखने को नहीं मिला, क्योंकि ये दूसरे राज्यों से नहीं मंगाए जाते, स्थानीय लोगों से ही खरीदा जाता है।”
वहीं,उखरुल जिले के एक सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर पमचुइला काशुंग ने बताया कि “उनका जिला नगालैंड के नजदीक है। वहां से सामान खरीद लिया जाता है। जिस कारण कीमतों में ज्यादा उछाल देखने को नहीं मिला है। बावजूद इसके उनका कहना है कि चावल और कुछ अन्य सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।”
क्या है मणिपुर में हिंसा का कारण?
- दरअसल, मैती समुदाय द्वारा अपने समुदाय के लिए शिड्यूल्ड ट्राइब (ST) के दर्जे की मांग की गई थी।
- जिसका विरोध करते हुए 3 मई को इम्फाल वैली में ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च की गई थी।
- जिसके बाद मैती और कुकी समुदाय में हिंसा हुई थी।
- इस हिंसा में 70 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
- जिसमें जगह-जगह चक्का जाम किया गया था।
- इस कारण राज्य में ट्रकों का आना – जाना प्रभावित हुआ।
- ट्रांसपोर्टर्स में भी ये डर था कि इस मार्च के कारण मणिपुर में हिंसा हो सकती है।
- जिसकी वजह से राज्य में रोजमर्रा के जरूरी सामानों की सप्लाई प्रभावित हुई।
- इस पूरी हिंसा में सबसे अधिक जो जिला प्रभावित हुआ है वो है इम्फाल वेस्ट जिला।
- वहां के हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि आर्मी और पैरा-मिलिट्री को वहां तैनात करना पड़ा।
- राज्य में तकरीबन 10 हजार जवानों की तैनाती की गई.
- डिफेंस स्पोक्सपर्सन ने बताया कि सिक्योरिटी फोर्सेस राज्य में स्थिति को सामान्य करने का पूरा प्रयास कर रही हैं।
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मणिपुर में सबसे अधिक मैती समुदाय
- जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि मैती समुदाय मणिपुर की कुल जनसंख्या का 53% हैं।
- वहीं,इस समुदाय के अधिकतर लोग इम्फाल वैली में रहते हैं।
- इसके अलावा, नगा और कुकी ट्राइब्स को मिलाकर मणिपुर की जनसंख्या का 40,% हिस्सा बनता हैं।
- ये दोनों ही समुदाय मणिपुर के पहाड़ी जिलों में रहते हैं।