Manipur Violence: मणिपुर में हो रही हिंसा पर CBI आई एक्शन में, हुई 6 FIR और 10 गिरफ्तारियां; जानें पूरी ख़बर
सार
- मणिपुर हिंसा पर अब केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) एक्शन में आ चुकी है।
- CBI द्वारा मणिपुर के हिंसा के इस केस में 6 FIR दर्ज की गई हैं।
- वहीं, 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
- साथ ही, राज्य से बाहर ट्रायल चलाने की भी तैयारी चल रही है।
विस्तार
मणिपुर में हिंसा के केस में अब CBI एक्शन में आ चुकी है। CBI द्वारा इस हिंसा और साजिश से जुड़े 6 FIR दर्ज की गई हैं। वहीं, जांच एजेंसी ने इस केस में अब तक 10 आरोपियों को अरेस्ट किया है। जानकारी के मुताबिक CBI सामूहिक दुष्कर्म (वायरल वीडियो मामला) की घटना के लेकर एक नई FIR दर्ज करेगी। जो इस मामले की सातवीं FIR होगी।
अदालत में दायर किया गया हलफनामा
जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि मणिपुर में पिछले 86 दिनों से हिंसा की घटना देखने को मिल रही हैं। इसी दौरान, केंद्र ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि “हमने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराए जाने के मामले की जांच CBI को सौंप दी है।” गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के जरिए शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर किया है, इस हलफनामे के अनुसार, इस मामले की समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी हो सके इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई को मणिपुर से बाहर ट्रांसफर करने का आग्रह किया है।

गृह मंत्रालय कुकी-मैतेई समुदाय के संपर्क में
सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर करने के साथ गृह मंत्रालय द्वारा राज्य में शांति बढ़ाने के प्रयास भी तेज कर दी गई है। मिली जानकारी के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह दोनो समुदाय मैतेई और कुकी समुदाय शीर्ष प्रतिनिधियों के संपर्क में बने हुए हैं। ये प्रयास किया जा रहा है कि दोनों समुदायों को बातचीत का जरिया बनाया जाए। हालांकि दोनों समुदायों के बीच सुलह करने को लेकर बात हुई है, किंतु सरकार को इस बात की उम्मीद है कि बातचीत से जल्द ही कोई सफलता मिलेगी।
निर्वस्त्र कर सड़कों पर महिलाओं को घुमाया
जानकारी के लिए आपको बता दें कि मणिपुर में पिछले हफ्ते दो महिलाओं का निर्वस्त्र कर पूरे इलाके में घुमाया था। जिसका वीडियो सामने आया था। साथ ही दोनों महिलाओं संग गैंगरेप भी किया गया था। इसको लेकर एक पीड़िता के पिता और भाई द्वारा विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना पर पीएम मोदी द्वारा भी दुख जताया गया था। साथ ही, कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया गया था।
SC ने कही ये बात
इस केस में 20 जुलाई को SC ने भी स्वत: संज्ञान लिया था। SC ने बोला था कि ये वीडियो बेहद ही हैरान करने वाला है। वहां हो रही हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करना संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। CJO डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और मणिपुर सरकार को इस मामले को लेकर तत्काल उचित कदम उठाने और कार्रवाई करने और उसकी जानकारी देने का निर्देश दिया था।
इसको लेकर अब SC करेगी सुनवाई
- अब केंद्र सरकार द्वारा इस घटना को लेकर अपना जवाब दाखिल किया गया है।
- जिसके अनुसार, मणिपुर सरकार द्वारा 26 जुलाई को एक पत्र के माध्यम से इस मामले की आगे की जांच CBI को सौंपने की मांग रखी है।
- जिसके बाद गृह मंत्रालय द्वारा 27 जुलाई को इस मामले को CBI को ट्रांसफर कर दिया गया है।
- बेंच द्वारा अब मणिपुर में जातीय हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुनवाई की जाएगी।

इसके अलावा हलफनामे में क्या-क्या कहा गया है
- केंद्र सरकार का कहना है कि इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए।
- वहीं, मुकदमा भी एक सही तरह से चलाया जाना चाहिए।
- इस केस सुनवाई से लेकर पूरा केस मणिपुर के बाहर किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर करने का आदेश दिया जाना चाहिए।
- इसके अलावा इस केस में ट्रायल भी फास्ट ट्रैक में चलाया जाना चाहिए।
- जिस कारण चार्जशीट दाखिल होने के 6 महीने के अंदर कार्रवाई हो पाए।
- किसी भी मामले को किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर करने की शक्ति केवल सुप्रीम कोर्ट के पास है।
- जिस कारण, केंद्र सरकार द्वारा SC से ऐसा आदेश पारित करने का निवेदन करती है।
- मणिपुर सरकार द्वारा यह बताया गया है कि 7 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
- वे सभी आरोपी आगे की जांच के लिए पुलिस कस्टडी में हैं।
- कुछ अन्य अपराधियों की पहचान की जा चुकी है।
- जिनकी गिरफ्तारी के लिए कई पुलिस टीमों का गठन किया गया है।
- इसके अलावा, इनसे जुड़े ठिकानों पर लगातार छापे मारे की जा रही है।
- इस मामले की जांच एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के अधिकारी को अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में सौंपी गई है।
- केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ हो वाले किसी भी अपराध के लिए जीरो टॉलरेंस के अंतर्गत एक्शन लिया जाता है।
- इस प्रकार का कोई भी अपराध बेहद जघन्य हैं।
- इन अपराधों को केवल गंभीरता से ही नही लेना चाहिए अपितु न्याय भी होना बेहद जरूरी है।