IPC-CRPC New Bill: मोदी सरकार ने बदला अंग्रेजों के जमाने के IPC-CRPC के 3 कानून; जानें कौन-से बदले कानून, क्या है नया कानून
सार
- मोदी सरकार ने पुराने तीन कानूनों को बदल डाला।
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं।
- इसी उद्देश्य से तीन विधेयक पेश किए जा रहे हैं।
- अमित शाह ने कहा कि नए कानून बनने 533 धाराएं खत्म होंगी।
- 133 नई धारा शामिल की गई हैं।
- जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है।
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विस्तार
3 New Bills: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही। अब अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीनों कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा। शाह ने जिन विधेयकों को पेश किया, उनके कानून बनने के साथ ही राजद्रोह खत्म हो जाएगा। इसके अलावा इसमें मॉब लिंचिंग, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी तमाम बदलाव किए गए हैं।
आइए जानते हैं कि नए कानून आने के बाद क्या क्या बदलाव होगा?
मॉब लिंचिंग में मौत तक की सजा का प्रावधान
- नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है।
- जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा।
- इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
- इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा।

नाबालिग से रेप में मौत की सजा
- अमित शाह ने बताया कि नए कानूनों में हमने महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटान के लिए ढेर सारे प्रावधान किए हैं।
- गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
- 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है।
- रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है जो परिभाषित करता है कि विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है।
- इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल और सजा
- अमित शाह ने बताया कि हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल।
- उन्होंने बताया कि अभी कई केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया।
- ऐसे में केसों का ट्रायल नहीं चल पा रहा है।
- अब सेशन कोर्ट के जज नियमों के मुताबिक, जिसे भगोड़ा घोषित करेंगे।
- उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा भी सुनाई जाएगी।
हेट स्पीच पर भी सजा का प्रावधान
- नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
- अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच देता है, तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- इसके अलावा कोई धार्मिक आयोजन कर किसी वर्ग, श्रेणी या अन्य धर्म के खिलाफ भड़काऊ स्पीच दी जाती है, तो 5 साल की सजा का प्रावधान होगा।
533 धाराएं खत्म होंगी- अमित शाह
- 2027 तक सभी कोर्ट ऑनलाइन होंगी।
- जीरो एफआईआर कहीं से भी रजिस्टर की जा सकती है।
- अगर किसी को भी गिरफ्तार किया जाता है, तो उसके परिवार को तुरंत सूचित करना होगा।
- जांच 180 दिन में समाप्त कर ट्रायल के लिए भेजना होगा।
- अमित शाह ने बताया कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी।
- 133 नई धारा शामिल की गई हैं।
- जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है।
- इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी।
मामले का जल्द होगा निपटारा
दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में FSL जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी किया गया है। पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं किया जा सकेगा। 3 साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया गया है। मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा। चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर ही फैसला देना होगा। फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध करना होगा।
- मौत की सजा वाले को आजीवन में बदलाव हो सकता है, लेकिन दोषी किसी भी तरह छोड़ा नहीं जायेगा। कानून में टेररिज्म की व्याख्या जोड़ी गई है।
- सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज होता है तो 120 दिनों के केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है।
- दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट देगा ना कि पुलिस अधिकारी।
बिल में नया क्या है…
पहला
- बिल के मुताबिक, नए कानूनों के माध्यम से कुल 313 परिवर्तन किए गए हैं।
- सरकार द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली में पूर्ण बदलाव किया गया है।
- जिन धाराओं में 7 साल से ज्यादा की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी।
दूसरा
- राजद्रोह की सजा बदली गई है।
- नए बिल में राजद्रोह का नाम हटा दिया गया है।
- कुछ बदलावों के साथ धारा 150 के तहत प्रावधान बरकरार रखे गए हैं।
- प्रस्तावित धारा 150 में राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
तीसरा
- 2027 से पहले देश की सभी कोर्ट को कंप्यूटराइज किया जाएगा।
- किसी भी शख्स को गिरफ्तार किया जाएगा तो उसके परिवार वालों को तुरंत जानकारी दी जाएगी।
- इसके लिए एक ऐसा पुलिस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
चौथा
- 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा।
- इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा।
- चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा।
पांचवा
- सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है।
छठा
- संगठित अपराध में कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।
- मृत्य की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है।
- लेकिन पूरी तरह बरी करना आसान नहीं होगा।
सातवां
- राजद्रोह को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है।
- दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट देगा, ना कि पुलिस अधिकारी।
सबको 3 साल के अंदर न्याय मिलेगा।
प्रस्तावित नई आईपीसी की धाराएं…
145: भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ना/युद्ध छेड़ने का प्रयास करना या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना। यह वर्तमान धारा 121 के समान है।
146: युद्ध छेड़ने की साजिश। यह वर्तमान धारा 121ए के समान है।
147: भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार आदि एकत्र करना। यह वर्तमान में धारा 122 के समान है।
- राजद्रोह का कानून खत्म होगा।
- इसकी जगह अब धारा 150 के तहत आरोप तय किए जाएंगे।
- धारा 150 कहती है- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य।

धारा 150 कहती है…
जो कोई, जानबूझकर या जानबूझकर बोले गए या लिखे गए शब्दों से या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा या वित्तीय साधनों के उपयोग से या अन्यथा अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है तो उसे आजीवन कारावास या कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
धारा 150 के प्रावधान में क्या बड़े बदलाव…
- इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा या वित्तीय साधनों का उपयोग जोड़ा गया है।
- सरकार के प्रति असंतोष भड़काने या भड़काने का प्रयास बदल गया है।
- उकसाना या उकसाने का प्रयास करना, अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियां या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना या संप्रभुता या एकता को खतरे में डालना और भारत की अखंडता का जिक्र किया गया है।
- सजा भी बदली गई है। राजद्रोह के लिए सजा आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद थी। जिसे बदलकर आजीवन कारावास/ 7 वर्ष कारावास तक बढ़ा दिया गया है।
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