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नालंदा महाविहार को मिला विश्व धरोहर का दर्जा अब हैं खतरे में, ASI ने मांगी नालंदा संरक्षण योजना

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नालंदा महाविहार को मिला विश्व धरोहर का दर्जा अब हैं खतरे में, ASI ने मांगी नालंदा संरक्षण योजना।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बिहार सरकार से नालंदा महाविहार के संरक्षण को लेकर अपनी योजना जल्द से जल्द सौपने को कहा है, जिससे प्राचीन शिक्षा केंद्र के बचे हुए निशानी को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया जा सके।

https://siwanexpress.com/aaj-18-october-2022-ke-mukhya-aham/

नालंदा महाविहार के संरक्षण का सम्मान होना चाहिए  

ASI, पटना सर्कल में सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट गौतमी भट्टाचार्य ने कहा कि अगर समूचे मास्टर प्लान को बनाने में ज्यादा समय लिया जाएगा और इसकी पालन रिपोर्ट पेरिस मे स्थित वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर (WHC) को नियत समय के अंदर- अंदर प्रस्तुत नहीं की जाएगा तो नालंदा महाविहार को यूनेस्को की प्रतिष्ठित विश्व धरोहर की लिस्ट से बाहर किए जाने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।

WHC विश्व धरोहर से जुड़े सभी मामलों के लिए यूनेस्को के अधीन समन्वयक है। गौतमी भट्टाचार्य ने आगे कहा कि यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में इस साइट के शिलालेख के समय बनाए गए नालंदा महाविहार के संरक्षण और इसके लिए समूचे मास्टर प्लान को प्रस्तुत करने के कमिटमेंट का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हाल के महीनों में ASI द्वारा बार-बार याद दिलाने के बाद भी नालंदा जिला प्रशासन ने ASI को समूचा  मास्टर प्लान अभी तक जमा नहीं किया है।

नालंदा महाविहार को मिला विश्व धरोहर का दर्जा अब हैं खतरे में, ASI ने मांगी नालंदा संरक्षण योजना
नालंदा महाविहार को मिला विश्व धरोहर का दर्जा अब हैं खतरे मे

प्राचीन साम्राज्य में ये बहुत विशाल बौद्ध मठ था 

नालंदा एक प्रशंसित महाविहार था, जो बिहार में मगध के प्राचीन साम्राज्य में एक बहुत विशाल बौद्ध मठ हुआ करता था। यह जगह पटना से तकरीबन 95 किलोमीटर दक्षिण – पूर्व में स्थित है। यह पांचवीं शताब्दी सी ई से 1200 सी ई तक एक एजुकेशनल सेंटर था। नालंदा के अवशेष को 2016 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया था।

ASI अधिकारी ने बताया कि, ”अगर समय सीमा के अंदर समूचा मास्टर प्लान को जमा नहीं किया गया तो विश्व धरोहर समिति को नकारात्मक दृष्टिकोण लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।” गौतमी भट्टाचार्य ने बताया कि अगर WHC किसी भी स्मारक के बारे में नकारात्मक दृष्टिकोण रखता है, तो उसे अप्रचलित लिस्ट में रखा जाता है। जिससे विश्व धरोहर का दर्जा खुद ही समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा, ” अगर ऐसा होता है तो यह देश के लिए बहुत शर्मनाक स्थिति होगी। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए मैं नालंदा के जिलाधिकारी को एकीकृत मास्टर प्लान जल्द से जल्द जमा करने के लिए लगातार पत्र लिखती रही हूं।”

दिसंबर के पहले हफ्ते में होगी बैठक 

इस विषय में WHC की बैठक दिसंबर के पहले हफ्ते में किए जाने की संभावना है। गौतमी भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने इस बारे मे 17 अक्टूबर को जिलाधिकारी को अंतिम पत्र लिखा था। यही पत्र राज्य सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की सचिव और नगर विकास और आवास विभाग को भी भेजा गया है।

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