Naxalite attacks: दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने किया सुरक्षाबलों पर हमला, 10 जवान हुए शहीद, दंडकारण्य कैसे बना नक्सलियों का गढ़? जानें पूरा मामला
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक बार फिर नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को अपना निशाना बनाया है। जहां बुधवार को नक्सलियों द्वारा डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड फोर्स (DRG) को लेकर आ रही एक वैन पर IED से हमला कर दिया गया।
इस हमले में 10 जवान शहीद हो गए हैं। साथ ही वैन ड्राइवर की भी मौत हो गई है। ये नक्सली हमला दंतेवाड़ा के अरनपुर में उस दौरान हुआ, जब DRG के जवान एंटी-नक्सल ऑपरेशन से वापिस लौट रहे थे।
इस नक्सली हमले के बाद पूरे बस्तर डिविजन में अलर्ट जारी कर दिया गया है। बस्तर डिविजन में कुल सात जिले हैं जिसमे कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर है।
बस्तर डिविजन में सुरक्षाबलों पर नक्सली हमलों का इतिहास पुराना रहा है। गर्मियों में ये हमले और अधिक बढ़ जाते हैं। नक्सली इसे ‘टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन’ यानी TCOC कहते हैं।
सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलें
- देश के 10 राज्यों के 70 जिले ऐसे हैं जहां नक्सलवाद आज भी है- गृह मंत्रालय
- सबसे अधिक 16 जिले जो झारखंड के हैं।
- उसके बाद 14 जिले जो छत्तीसगढ़ के हैं।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले – बलरामपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली हैं।
- आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में छत्तीसगढ़ से अधिक नक्सल प्रभावित जिले हैं।
- किंतु, छत्तीसगढ़ के मुकाबले झारखंड में नक्सली हमले वहां से लगभग आधी संख्या में है।

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की संख्या
- छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद सबसे गंभीर समस्या है।
- गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2022 तक नक्सलियों ने 1132 हमले किए।
- इन हमलों में 168 जवान शहीद हुए हैं।
- साथ ही, 335 आम नागरिको की भी जानें गई हैं।
- वहीं, सुरक्षाबलों की तरफ से 398 ऑपरेशंस चलाए गए हैं।
- जिनमें 327 नक्सली ढेर हुए है।
- गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष 28 फरवरी तक छत्तीसगढ़ में 37 नक्सली हमले किए गए थे।
- जिनमें 7 जवान शहीद हो गए थे।
- वहीं, सुरक्षाबलों द्वारा 1 नक्सली को ढेर किया गया था।
- वहीं, अब दंतेवाड़ा में नक्सलियों द्वारा हमला किया गया जिसमें 10 जवान शहीद हो गए।
2013-23 हुए नक्सली हमले, शहीद जवान और मारे गए नक्सलियों की संख्या
2013
- 355 नक्सली हमले
- 44 शहीद जवान
- 38 मारे गए नक्सली
2014
- 328 नक्सली हमले
- 60 शहीद जवान
- 35 मारे गए नक्सली
2015
- 466 नक्सली हमले
- 48 शहीद जवान
- 48 मारे गए नक्सली
2016
- 395 नक्सली हमले
- 38 शहीद जवान
- 135 मारे गए नक्सली
2017
- 373 नक्सली हमले
- 60 शहीद जवान
- 80 मारे गए नक्सली
2018
- 392 नक्सली हमले
- 55 शहीद जवान
- 125 मारे गए नक्सली
2019
- 263 नक्सली हमले
- 22 शहीद जवान
- 79 मारे गए नक्सली
2020
- 315 नक्सली हमले
- 36 शहीद जवान
- 44 मारे गए नक्सली
2021
- 255 नक्सली हमले
- 45 शहीद जवान
- 48 मारे गए नक्सली
2022
- 305 नक्सली हमले
- 10 शहीद जवान
- 31 मारे गए नक्सली
2023
- 41 नक्सली हमले
- 7 शहीद जवान
- 1 मारे गए नक्सली
इन इलाकों में अधिक नक्सली
- छत्तीसगढ़ और झारखंड के अलावा ऐसे कई राज्य है जहां नक्सली है।
- जैसे – आंध्र प्रदेश, बिहार, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल।
- यहां से भी नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
- किंतु, अब अधिकतर नक्सली हिंसा दो ही केंद्रों में रह गई है।
- पहला- छत्तीसगढ़ और उसके नजदीकी राज्यों में फैले दंडकारण्य जंगल में।
- वहीं, दूसरा- झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल की सीमा पर।
- जिनमें से सबसे अधिक नक्सली हिंसा दंडकारण्य के जंगलों और पहाड़ी इलाकों में होती है।
- दंडकारण्य छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्य में फैला हुआ है।
- ये पूरा दंडकारण्य जंगल 92 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।
नक्सलवाद खत्म न होने का कारण
- छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद खत्म न होने का कारण है कि वहां आसपास के राज्यों के नक्सली भी अब यहां आ कर बसने लगे हैं।
- देखा जाए तो नक्सलवाद खत्म करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका राज्य के पुलिस की होती है।
- आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में पुलिस द्वारा नक्सलियों को खत्म करने के लिए जबरदस्त ऑपरेशन चलाए गए है।
- जिसका नतीजा ये निकला कि उन राज्यों के नक्सली भी दंडकारण्य के जंगलों में आ कर रहने लगे।
दंडकारण्य नक्सलियों का गढ़ बना कैसे
आईपीएस केएस व्यास की हत्या
- इसकी शुरुआत 90 के दशक में हुई थी।
- उस समय नक्सलियों के अंत के लिए 1989 में आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा ‘ऑपरेशन ग्रेहाउंड’ लॉन्च किया गया था।
- इस ऑपरेशन को केएस व्यास द्वारा लीड किया गया था।
- इस ऑपरेशन के जरिए कई नक्सलियों को मारा गया था।
- जिसके बाद नक्सली डर गए थे।
- वहीं, इस ऑपरेशन के दौरान केएस व्यास नक्सलियों की हिट लिस्ट में आ गए थे।
- जिसके बाद, 27 जनवरी 1993 के दिन नक्सलियों द्वारा केएस व्यास की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
- उनकी हत्या शाम को की गई, जब वो सैर पर गए थे।

इस कारण बना नक्सली इलाका
- इस ऑपरेशन से बचने के लिए नक्सली दंडकारण्य के जंगलों में छिपने के लिए मजबूर हो गए।
- जिसके बाद धीरे-धीरे जंगलों में नक्सलियों की संख्या बढ़ने लगी।
- इन नक्सलियों ने स्थानीय आदिवासियों में भी नक्सली विचारधारा फैलाना शुरू कर दिया।
- जिसके बाद स्थानीय लोगों को ऐसा लगने लगा कि उनकी हर समस्या का समाधान उन लोगों के पास है।
- इन सबके बाद यहां के स्थानीय लोग भी नक्सलवाद की ओर आकर्षित होने लगे।
- यहां के लोगों को नक्सली बनने का दूसरा कारण ये भी है कि यहां पर रहने वालों को सालों तक बेसिक जरूरतें भी नहीं मिल सकीं।
क्या है ये DRG
- DRG अर्थात डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड फोर्स।
- DRG की शुरुआत 2008 में की गई थी।
- बस्तर डिविजन के सभी जिलों में नक्सलियों से मुकाबले के लिए इसका गठन किया गया था।
- बाद में इसका गठन कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव और दंतेवाड़ा में भी हुआ।
- DRG में वहां के स्थानीय युवाओं को प्रिफरेंस दी जाती है।
- कई बार इसमें सरेंडर कर चुके नक्सलियों की भी भर्ती की जाती है।
- ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि नक्सलवाद से निपटने में अधिक से अधिक मदद मिल सके।
- क्योंकि इन लोगों को वहां के इलाकों की ज्यादा जानकारी होती है।
- साथ ही, वह लोग वहां की स्थानीय भाषा को भी समझ सकते है।
छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक मौतें
- नक्सलियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को मिल रही आर्थिक मदद बढ़ती जा रही है।
- किंतु नक्सली हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।
- 2017-18 में केंद्र ने छत्तीसगढ़ को 92 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की थी।
- वहीं, 2020-21 में इसे बढ़ाकर 140 करोड़ रुपए की मदद की गई थी।
- फिर भी, छत्तीसगढ़ सबसे अधिक मौतों वाला राज्य है।