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Pathetic Condition of Police Station: बिहार के पुलिस थानों की दयनीय स्थिति पर पटना हाईकोर्ट द्वारा की गई सुनवाई, जानें क्या है ये पूरा मामला

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Pathetic Condition of Police Station: बिहार के पुलिस थानों  की दयनीय स्थिति पर पटना हाईकोर्ट द्वारा की गई सुनवाई, जानें क्या है ये पूरा मामला

सार

  • पटना हाइकोर्ट में थानों की दयनीय स्थिति और बेसिक सुविधाएँ उपलब्ध न होने पर मामलें की सुनवाई।
  • पिछली सुनवाई में फंड की उपलब्धता का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।
  • राज्य में 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं।
  • पुलिस स्टेशनों की बेहद दयनीय स्थिति।
  • इस मामलें पर अगली सुनवाई एक माह बाद की जाएगी।

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विस्तार

Patna High Court: पटना हाइकोर्ट में बिहार राज्य में थानों की दयनीय स्थिति और बेसिक सुविधाएँ उपलब्ध न होने को लेकर मामलें पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस K V Chandran की खंडपीठ को बताया गया कि पुलिस विभाग थाने के भवनों के निर्माण और सुधार के लिए उपलब्ध फंड के सम्बन्ध में 15 दिनों में DGP, बिहार के समक्ष विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत कर देगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को मॉडल पुलिस थाने के निर्माण पर विचार करने को लेकर राज्य के डेवलपमेंट कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन करने का निर्देश दिया था।

Pathetic Condition of Police Station: बिहार के पुलिस थानों की दयनीय स्थिति पर पटना हाईकोर्ट द्वारा की गई सुनवाई, जानें क्या है ये पूरा मामला
पटना हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

पिछली सुनवाई में फंड की उपलब्धता का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था

  • राज्य सरकार की तरफ से बिहार और अन्य राज्यों के मॉडल पुलिस थाने को लेकर जानकारी दी गई।
  • कोर्ट ने जानना चाहा कि थानों के निर्माण और सुधार के लिए उपलब्ध फंड के बारे में कितने दिनों में जानकारी दी जा सकती है।
  • जिसके बाद, पुलिस विभाग ने कोर्ट को कहा कि 15 दिनों में इसका पूरा ब्यौरा बिहार DGP के सामने प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
  • कोर्ट द्वारा सहायता करने के लिए नियुक्त एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फंड की उपलब्धता के बारे में ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।
  • किंतु अब तक ये ब्यौरा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया गया है।
  • कोर्ट ने राज्य में पुलिस भवन निर्माण निगम में पद के रिक्त होने को काफी गम्भीरता से लिया है।
  • जिसके बाद, उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इन रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए।
  • जिससे, पुलिस थाना भवनों का निर्माण कार्य तेजी से हो सके।
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राज्य में 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं

  • पिछली सुनवाई के दौरान थानों के भवन निर्माण के लिए उपलब्ध फंड के उपयोग और वितरण पर भी कोर्ट में चर्चा हुई थी।
  • जिसमे, कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को।अगली सुनवाई में इस विषय पर जानकारी देने का दिया गया था।
  • पिछली सुनवाई में कोर्ट द्वारा सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के लिए सीनियर पुलिस ऑफिसर का नाम का सुझाव देने को कहा गया था।
  • जिसके बाद, राज्य सरकार द्वारा कॉर्डिनेटर के रूप में ADG कमल किशोर सिंह का नाम दिया गया था।
  • वहीं, एमिकस क्यूरी सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य में कुल 1263 थाने है।
  • जिनमें से 471 थाने के अपने भवन नहीं है।
  • इन्हें किराये के भवन में चलाया जा रहा है।
  • वहीं, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य में थानों का निर्माण और पुनर्निर्माण का काम समय सीमा के अंदर पूरा होना चाहिए।
  • जब तक थानों के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस ऑफिसर कमल किशोर सिंह कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे।

पुलिस स्टेशनों की बेहद दयनीय स्थिति

  • इससे पहले भी पुलिस स्टेशनों की दयनीय स्थिति और उसकी बुनियादी सुविधाओं को लेकर मामला कोर्ट में उठाया गया था।
  • राज्य सरकार द्वारा इसमें  सुधार लाने का भी वादा किया गया था।
  • किंतु कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया था।
  • कोर्ट की सुनवाई में एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
  • उन्होंने कहा कि जो भी थाने सरकारी भवन में चलाए जा रहे हैं, उनकी भी स्थिति ठीक नहीं है।
  • उनमें भी बेसिक सुविधाओं की कमियां है।
  • इसके अलावा, थानों में बिजली, पानी, शौचालय जैसी बेसिक सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है।
  • तकरीबन 800 ऐसे थाने है जो सरकारी भवनों में चल रहे है,किंतु उनकी भी बुरी स्थिति अच्छी में है।
  • उनमें भी निर्माण और मरम्मत करवाने की जरूरत है।
  • साथ ही, कितने थाने ऐसे है जिनके भवनों की स्थिति खराब है।
  • पुलिसकर्मियों को सुविधाओं के अभाव और काफी कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है।
  • वहीं, इस मामलें पर अगली सुनवाई एक माह बाद की जाएगी।

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