Tilak in Hinduism: हिंदू धर्म में तिलक लगाने का क्या है महत्व; जानें कितने प्रकार से लगाए जाते हैं तिलक और क्या है इसके लाभ
सार
हिंदू धर्म में माथे को खाली छोड़ना अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए शास्त्रों में तिलक लगाने का प्रावधान है। तिलक लगाने से पूजा का पूरा फल तो प्राप्त होता ही है। साथ ही, उससे स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता हैं।
विस्तार
Tilak in Hinduism: पूजा-पाठ के दौरान माथे पर तिलक लगाना हिंदू संस्कृति का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। केवल माथे पर ही नहीं अपितु कंठ, नाभि, पीठ और भुजाओं पर भी तिलक लगाने का महत्व है।
सनातन धर्म में कई प्रकार से तिलक लगाया जाता है। जिन्हें वैष्णव, शैव और ब्रह्म तिलक कहा जाता है। इन सभी प्रकार के तिलक का अपना एक अलग महत्व है।
तो आइए आज के इस लेख में हम विस्तार से इस बारे में जानते हैं-
वैष्णव तिलक
ये वैष्णव तिलक वह लोग लगाते हैं जो भगवान विष्णु के अनुयायी होते है। वैष्णव तिलक पीले रंग के गोपी चंदन से लगाया जाता है। वैष्णव तिलक ‘V’ शेप में लगाया जाता है। यह तिलक नाक के बीच से शुरू होकर सिर पर जहां से बाल शुरू होते हैं वहां तक लगाया जाता है।

त्रिपुंड/ शैव तिलक
जो लोग भगवान शिव की उपासना करते हैं वह लोग शैव/ त्रिपुंड तिलक लगाते हैं। शैव तिलक काले या लाल रंग का होता है। इस तिलक को रोली तिलक भी कहते है। वही शिवलिंग पर बनी तीन रेखाओं के तिलक को त्रिपुंड कहा जाता हैं। शैव परंपरा से जुड़ा हुआ त्रिपुंड लगाने के लिए अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का इस्तेमाल से माथे पर बाईं आंख की ओर से दाईं आंख की ओर आड़ी रेखा खींचना चाहिए। त्रिपुंड का आकार दोनों आंखों के बीच में सीमित रहना चाहिए।

ब्रह्म तिलक
ब्रह्म तिलक आमतौर पर मंदिरों के पुजारी और ब्राह्मण लगाते हैं। इसके अलावा ब्रह्म देव की पूजा करने वाले गृहस्थी भी ऐसे तिलक का प्रयोग करते हैं। ब्रह्म तिलक सफेद रंग की रोली से बनाया जाता है।
तिलक लगाने के नियम
- शास्त्रों में कहा गया है कि बिना स्नान और ध्यान के व्यक्ति को तिलक नहीं लगाना चाहिए।
- वहीं, तिलक लगाने के बाद व्यक्ति को सोना भी नहीं चाहिए।
- इसके अलावा, पूजा के दौरान स्वयं को तिलक लगाने से पूर्व भगवान को तिलक लगाना चाहिए।
- साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि स्वयं को अनामिका उंगली से ही तिलक लगाएं।
- वहीं, यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति को तिलक लगा रहे हैं तो अंगूठे का प्रयोग करें।
तिलक लगाने से स्वास्थ्य को लाभ
- तिलक लगाना न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं अपितु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे महत्वपूर्ण बताया गया है।
- जिसमे, तिलक के प्रयोग से हमारे मस्तिष्क की तंत्रिकाएं शांत मुद्रा में रहती हैं।
- इसके प्रयोग से सिरदर्द जैसी गम्भीर समस्या दूर रहती है।
- साथ ही, यह भी माना जाता है कि बुखार में चंदन के तिलक लगाने से व्यक्ति को बुखार में राहत मिलता है।
- इससे शरीर का तापमान कम रहता है।
- इसके अलावा कुछ आयुर्वेद विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि जिन्हें अनिद्रा या तनाव की परेशानी है,उन्हें माथे के बीच में मालिश करनी चाहिए और चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
- साथ ही, तिलक के प्रयोग से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
किस तिलक से किस तरह का लाभ
- चन्दन के तिलक से एकाग्रता की बढोतरी होती है।
- रोली – कुमकुम से आकर्षण बढ़ता है और आलस्य दूर होता है।
- केसर तिलक से यश बढ़ता है और कार्य पूर्ण होते हैं।
- गोरोचन के तिलक से विजय प्राप्ति होती है।
- अष्टगंध से विद्या बुद्धि मिलती है।
- भस्म या राख के तिलक से दुर्घटनाओं और मुकदमेबाज़ी से रक्षा होती है।
कौन से ग्रह की मजबूती के लिए कैसा तिलक लगाना चाहिए?
- सूर्य के लिए अनामिका उंगली से लाल चन्दन का तिलक लगाएं।
- चन्द्रमा के लिए कनिष्ठा उंगली से सफेद चन्दन का तिलक लगाएं।
- मंगल ग्रह के लिए अनामिका उंगली से नारंगी सिन्दूर का तिलक लगाएं।
- बुध ग्रह के लिए कनिष्ठा उंगली से अष्टगंध का तिलक लगाएं।
- बृहस्पति के लिए तर्जनी उंगली से केसर तिलक लगाएं।
- शुक्र ग्रह के लिए अनामिका उंगली से रोली और अक्षत लगाएं।
- शनि , राहु , केतु के लिए तीन उंगलियों से कंडे या धूप बत्ती की राख लगाएं।

आकर्षण के लिए तिलक बनाने का तरीका
- ताम्बे के बर्तन में थोड़ी सी रोली लें।
- अब इसमें थोड़ा सा गुलाब जल डालें।
- फिर इसका पेस्ट बनाएं, पहले श्रीकृष्ण को तिलक लगाएं।
- उसके बाद स्वयं के माथे पर तिलक लगाएं।
- इस तिलक को लगाकर मांस मदीरे का सेवन न करें।
विजय और शक्ति के लिए तिलक बनाने का तरीका
- सबसे पहले लाल चन्दन घिसें।
- अब इसको चांदी या शीशे के पात्र में रखें।
- पहले देवी मां के सामने रखकर “ॐ दुं दुर्गाय नमः” का जाप 27 बार करें।
- फिर इस चन्दन को देवी मां के चरणों में लगाएं।
- इसके बाद अपने माथे और बाहों पर लगाएं।
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