सेना में 4 महीने से कर रहा था फर्जी नौकरी, पठानकोट में था तैनात, सच्चाई जान होश उड़े।
Fake recruitment in Indian army: आज के दौर में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है की आजकल के युवा किसी के भी झांसे में आकर बहुत आसानी से फंस जाते हैं, खासकर तब जब कोई उन्हें उन्हें नौकरी का झांसा दे। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश से सामने आया है।
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दरअसल, यहां एक व्यक्ति को अपनी नौकरी करने के 4 महीने बाद पता चला कि वह जो नौकरी कर रहा है वह फर्जी नौकरी कर रहा है। उसे यह लग रहा था कि वह सेना में नौकरी कर रहा है, उसे यूनिफॉर्म, आईडी तक मिल गई है। लेकिन बाद में उसे ये पता चला कि वह जो नौकरी कर रहा ही वो फर्जी नौकरी है, जिसके बाद उसने इस मामले को लेकर पुलिस में इस फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज करवाई है।
16 लाख का लगा चूना
सेना के सोर्सेज की मानें तो 22 नवंबर को गाजियाबाद के निवासी मनोज कुमार ने पूरे 4 महीने तक सेना में नौकरी की, उन्हें 12,500 रुपए की सैलरी भी प्रत्येक माह मिल रही थी। उन्हें जुलाई माह में उनका अप्वाइंटमेंट लेटर भी मिल गया था। और कुछ दिनो बाद उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया, लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही थी। मिली जानकारी के अनुसार मनोज कुमार की नौकरी कभी लगी ही नहीं थी।
वह राहुल सिंह नाम के एक सेना के सिपाही के स्थान पर कुछ समय के लिए ही नौकरी कर रहा था। राहुल सिंह ने उनसे नौकरी के नाम पर पूरे 16 लाख रुपए लिए थे। राहुल सिंह मेरठ के दौराला का रहने वाला है। लेकिन इस भर्ती घोटाले में मंगलवार को राहुल सिंह और उसके एक अन्य साथी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

सेना का पूर्व सिपाही एक रैकेट चला रहा था
मनोज कुमार को पठानकोट में स्थित 272 ट्रांजिट सेंटर की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। जहां से अक्सर सेना की यूनिट फॉरवर्ड पोस्ट के लिए जाया करती थीं। वहीं, आरोपी राहुल सिंह खुद को सेना का बड़ा अधिकारी बताया करता था और वह बेरोजगार युवाओ को नौकरी देने के नाम पर धोखा देता था। राहुल सिंह के साथ उसके दो सहयोगी लोगों को भर्ती के नाम पर जाल में फंसाते थे, जिसमे राहुल भी शामिल था।
पीड़ित मनोज कुमार को यह लग रहा था कि वह सेना में भर्ती हो गया है और नौकरी कर रहा है। राहुल सिंह ने मनोज कुमार को सेना की यूनिफॉर्म में पोस्ट पर बुलाया था और उसे राइफल देता था और पहरेदारी की ड्यूटी दिया करता था।
इस केस में दो आरोपी गिरफ्तार
मिलिट्री इंटेलिजेंस के इनपुट के आधार पर मेरठ पुलिस ने राहुल सिंह और उसके एक साथी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसका नाम बिट्टू सिंह है। साथ ही, उनके दूसरे सहयोगी राजा सिंह की भी पुलिस तलाश कर रही है। इस मामले को लेकर मनोज कुमार ने FIR दर्ज कराई है। तीनों ही आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 420, 467, 471, 406, 323, 506, 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
मनोज कुमार सेना के कैंप तक पहुंचा
राहुल सिंह की बात की जाए तो उसने 2019 में सेना से मेडिकल ग्राउंड पर रिजाइन कर दिया था। सेना के सोर्सेज द्वारा पता चला है कि राहुल मनोज कुमार को उसकी नौकरी के बारे में यकीन दिलाने के लिए उसे यूनिफॉर्म में बुलाता था। एक वीडियो भी सामने आया है जिसमे देखा जा सकता है कि मनोज कुमार यूनिफॉर्म में राइफल लेकर खड़ा है।
मनोज कुमार ने बताया कि मुझे 272 ट्रांजिट कैंप मे बुलाया गया था, एक सीनियर अधिकारी मुझे लेकर कैंप के अंदर गया, जहां पर मेरी खाना बनाने की क्षमता,शारीरिक क्षमता को परखा गया। इसके बाद मुझे राहुल सिंह ने बताया कि मेरी भर्ती हो गई है और शुरुआत में मुझे कई काम करने होंगे, मुझे इंसास राइफल भी मुहैया कराई गई और कैंप में पहरेदारी के लिए तैनात किया गया।
फर्जीवाड़े का मामला आया सामने
मनोज कुमार ने बताया कि जब समय बीतता गया, मैंने दूसरे जवानों से बात की, उन्होंने मेरा अप्वाइंटमेट लेटर, आईडी कार्ड देखा तो उन्होंने कहा कि यह फर्जी है। जब मैंने राहुल सिंह से बात की तो उसने इस बात से इनकार किया। मुझसे छुटकारा पाने के लिए उसने मुझे अक्टूबर में कानपुर ट्रेनिंग अकादमी भेज दिया। वहां से मुझे घर भेज दिया गया।
जब आखिरी बार मैं राहुल सिंह से मिला तो वह मुझे धमकाने लगा। कैंप में बिताए समय के बारे में मनोज कुमार ने बताते हुए कहा कि सेना में मेरे कुछ दोस्त मुझ पर शक किया करते थे, जिसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी मिलिट्री इंटेलिजेंस को दी, जिसके बाद मिलिट्री इंटेलिजेंस में इस मामले की जांच शुरू कर दी।